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राजनीति – राजनीति का खेल – जयश्री वर्मा

Zindagi Rang Shabd
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आओ हम मिलकरके खेल,राजनीति-राजनीति का खेलें,

देश को रखें एक तरफ और फिर सम्पूर्ण स्वार्थ में जी लें।

भिन्न-भिन्न पार्टियाँ बनाएं,चिन्ह अपनी पसंद का लगाएं ,

कमल,साइकिल,हाथी,पंजे या अन्य से,आओ इसे सजाएं।

करें घोटाले,घपले,हवाले,सबको खुली छूट है इस खेल में,

पैसे की महिमा के बल पर,कोई भी नहीं जाओगे जेल में।

देश डूबे या दुश्मन के हमले हों,कोई फर्क नहीं पड़ने वाला ,

बस इक दूजे पे आक्षेप लगाएं,यह खेल अलग है निराला।

किसी को विदेशी,किसी को कट्टर कह जनता को भड़काएं,

सत्र कितना भी जरूरी हो पर,हर काम में रोड़ा अटकाएं।

अपने घर को धन से भर लें,चाहे यह जनता जाए भाड़ में ,

सारे क्रूर कर्म कर डालें,हम मुस्कुराते मुखौटे की आड़ में।

रमजान में रोज़ा इफ्तारी और मकर संक्रांति में हो खिचड़ी ,

हिन्दू,मुस्लिम वोट बैंक छलावे में,जनता भोली है जकड़ी ।

भाषण,उदघाटन उद्घोष कर,इस पब्लिक को बरगलाएं ,

रात सुहानी अपनी ही है,दावत,सुरा,सुंदरी के संग सजाएं ।

पोशाक रहेगी सफ़ेद टोपी संग,पर कोई दाग न लगने पाए ,

सफ़ेद लिबास की आड़ में क्या करते हैं,कोई जान न पाए।

नए वादों के घोषणापत्र बनाकर,मीडिया से प्रचार करवाएं ,

वादा खिलाफ़ी कर सकते हैं,पहले सत्ता अपनी हथियाएँ।

स्कूल,अस्पताल,सड़क के नाम पर,धन में गोते लगाएं ,

काम धकाधक होना जरूरी,चाहे सब फाइलों में निपटाएं।

नियम क़ानून ताक पर रखकर,बस नोट ही नोट बनाएं ,

भूख,बाढ़,आपदा से कोई मरे तो,दो – दो लाख पकड़ाएं ।

तुम सत्ता में हमें सम्हालो,हम सत्ता में तुम्हें सम्हालें ,

कोर्ट,सीबीआई सब सध जाएगी,बेखौफ़ कुर्सी अपनालें ।

बड़ा आनंद आएगा चलो मिल,सत्ता का स्वाद भी ले लें ,

आओ हम मिलकरके खेल राजनीति-राजनीति का खेलें ।

( जयश्री वर्मा )

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