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दोस्तों ! मेरी यह कविता ” सवाल ” इस बार की दिल्ली प्रकाशन द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय मैगज़ीन ” सरिता “ में ( पृष्ठ संख्या -115 ) पर प्रकाशित हुई है!आप लोग भी पढ़ें ! धन्यवाद !
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क्यों तुम्हारी आँखों में आज, तूफ़ान उमड़ आया है ?
क्या किसी ने फिर,यादों के झरोखे पे खटखटाया है ?
जो फूल दिया था उसने,खिला -खिला,महका -महका,
क्या वाही सूखा हुआ,किसी किताब में निकल आया है ?
जो तराना,उसने सुनाया था,कभी किसी पेड़ के नीचे,
क्या वही आज पास से गुज़रते,किसी ने गुनगुनाया है?
जो डोर बाँधी थी,कसमों की,वादों की,साथ में उस डाल पर,
क्या उसी डाल का कोई पत्ता,उड़ कर इधर चला आया है ?
जो कहे, अनकहे, सवाल और जवाब थे कई पूछे गए,
क्या ज़माने की निगाहों से,मन तुम्हारा कसमसाया है ?
क्यों मुरझाया हुआ है चेहरा,आज तुम्हारा इस कदर ?
क्या ख़्वाबों में मुस्कुराता, वही चेहरा उतर आया है ?
न पूछो ,न टोको,न कहो कुछ भी, न कोई अब सवाल करो,
कि बड़ी मुश्किल से मैंने,इस मन को थपका के सुलाया है।
( जयश्री वर्मा )
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